Bihar Land Survey: सरकार अब कर्मियों के लिए एक विशेष लिपि की पुस्तिका छपवाने जा रही है, जिसे अमीन, कानूनगो, सर्वे शिविर प्रभारी के अलावा राजस्व कर्मचारियों, राजस्व अधिकारियों, अंचल अधिकारियों, भूमि सुधार उप-समाहर्ता और अपर समाहर्ताओं के बीच बांटा जाएगा। इसके साथ ही, सर्वे निदेशालय की वेबसाइट और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भी इस पुस्तक को अपलोड करने की योजना है। यह कदम न केवल जानकारी के प्रवाह को बेहतर बनाएगा, बल्कि संबंधित अधिकारियों को सही दिशा में काम करने में भी मदद करेगा!
भूमि सर्वे मे कैथी लिपि बनी सरकार की सिरदर्द
बिहार भूमि सर्वे कार्य में कैथी लिपि सरकार के लिए सिरदर्द बन गई है। 70 फीसदी से अधिक दस्तावेज इस लिपि में हैं, लेकिन इसे पढ़ने वाले सरकार के पास गिनती के ही लोग रह गए हैं। इसके बावजूद, सरकार ने बिना इस सच्चाई को समझे ही सर्वे का काम शुरू कर दिया। जब दस्तावेजों को पढ़ने में मुश्किलें आईं, तो सरकार ने तुरंत अपने कर्मचारियों के लिए कैथी लिपि का प्रशिक्षण शुरू कर दिया। लेकिन क्या किसी लिपि को महज तीन दिनों के प्रशिक्षण में सीखना संभव है? यह सवाल अब उठता है कि क्या ये प्रयास समस्या का समाधान कर पाएंगे!
किताब प्रकाशित कर बांटेगी सरकार
सरकार के इस अव्यावहारिक कदम का कोई खास फायदा नहीं हुआ है। कैथी लिपि का प्रशिक्षण, जो सर्वे के काम में लगे कर्मियों को दिया जा रहा है, नाकाफी साबित हो रहा है। इस स्थिति को सुधारने के लिए सरकार अब कर्मियों के लिए एक पुस्तिका छपवाने जा रही है। यह पुस्तिका अमीन, कानूनगो, सर्वे शिविर प्रभारी, राजस्व कर्मचारी, राजस्व अधिकारी, अंचल अधिकारी, भूमि सुधार उप-समाहर्ता और अपर समाहर्ताओं के बीच बांटी जाएगी। इसके साथ ही, सर्वे निदेशालय की वेबसाइट और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भी इस पुस्तक को अपलोड करने की योजना है। यह कदम क्या वास्तविक बदलाव लाएगा? यह तो समय ही बताएगा!
आम लोगों से भी की कैथी लिपि जानने की अपील
राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री डॉ. दिलीप कुमार जायसवाल की अध्यक्षता में हुई बैठक में यह बात सामने आई है कि विभाग कैथी लिपि के जानकारों की सेवाएं ले रहा है। ये विशेषज्ञ प्राथमिकता के आधार पर उन जिलों में प्रशिक्षण दे रहे हैं, जहां पुराने या पुश्तैनी, यानी कैडेस्टल खतियान की संख्या अधिक है। हालांकि, प्रशिक्षण के बावजूद कैथी लिपि में लिखे पुराने दस्तावेजों को पढ़ने में लगातार समस्याएं आ रही हैं। इस स्थिति को देखते हुए, राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने एक पुस्तिका छपवाकर सर्वे कर्मियों और राजस्व अधिकारियों के बीच बांटने का निर्णय लिया है। इसके अलावा, इसे सर्वे निदेशालय की वेबसाइट और विभाग के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अपलोड करने के साथ ही अखबारों में एक पेज का विज्ञापन भी दिया जाएगा। आम लोगों से भी कैथी लिपि सीखने की अपील की जा रही है, ताकि सभी मिलकर इस चुनौती का सामना कर सकें!
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प्राथमिकता के आधार पर बाँटी जाएगी कैथी लिपि की पुस्तिका
कैथी लिपि की जानकारी के लिए पुस्तिका अमीन, कानूनगो, शिविर प्रभारी, राजस्व कर्मचारियों, राजस्व अधिकारियों, अंचल अधिकारियों, भूमि सुधार उप-समाहर्ताओं और अपर समाहर्ताओं के बीच बांटी जाएगी। वर्तमान में, विभाग ने कैथी पढ़ने वाले विशेषज्ञों की सेवाएं ली हैं, जो जिलों में जाकर सर्वे कर्मियों को कैथी लिपि का प्रशिक्षण दे रहे हैं। प्राथमिकता के आधार पर यह प्रशिक्षण पहले उन जिलों में दिया जा रहा है, जहां पुराने खतियान, यानी कैडेस्ट्रल खतियान के आधार पर सभी राजस्व संबंधी कार्य किए जाते हैं। यह कदम समस्या के समाधान की दिशा में महत्वपूर्ण साबित हो सकता है!
सबसे पहले एक दर्जन गांव का प्रकाशित होगा खतियान
राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के मंत्री डॉ. दिलीप कुमार जायसवाल ने बताया कि पुस्तिका प्रकाशित होने से अधिक से अधिक लोग कैथी में लिखे अपने दस्तावेजों को समझ सकेंगे। उन्होंने बताया कि 929 गांवों में विशेष सर्वेक्षण खतियान सहित नक्शे का अंतिम प्रकाशन कर दिया गया है। कुछ औपचारिकताएं अभी बाकी हैं, जिन्हें पूरा करने के बाद इन पर अंचलों में दाखिल-खारिज समेत सभी राजस्व संबंधी कार्य किए जा सकेंगे।
डॉ. जायसवाल ने निर्देश दिया कि पहले एक दर्जन गांवों के अंतिम रूप से प्रकाशित खतियान का वितरण लोगों में किया जाए। उसके आधार पर राजस्व संबंधी काम शुरू किए जाएं और उससे प्राप्त फीडबैक के आधार पर सभी 929 मौजों में इसे लागू किया जाए। यह कदम कार्यक्षमता बढ़ाने की दिशा में महत्वपूर्ण है!
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