Bihar Land Survey 2024: बिहार में जमीन सर्वे को लेकर नीतीश सरकार ने एक महत्वपूर्ण फैसला लिया है। हालाँकि, सर्वे थोड़े समय के लिए टल गया है। बीते दिन को पूर्णिया में राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के मंत्री दिलीप जायसवाल ने बताया कि हम लोगों को तीन महीने का समय देंगे ताकि वे अपने कागजात तैयार कर सकें। इसके बाद ही सर्वे का कार्य शुरू होगा। एक-दो दिन में इस संबंध में आधिकारिक पत्र भी जारी कर दिया जाएगा।
बिहार में भूमि सर्वे की प्रक्रिया कुछ समय के लिए टल गई है। नीतीश कुमार के मंत्री ने हाल ही में इस बात की जानकारी देते हुए कहा कि सरकार इस मामले में नई योजनाएँ तैयार कर रही है। इस दौरान लोगों को कागजात तैयार करने के लिए समय दिया जाएगा, ताकि सर्वे के दौरान किसी भी तरह की समस्या का सामना न करना पड़े।
दिलीप जायसवाल का सख्त संदेश: सुधार की आवश्यकता!
दिलीप जायसवाल ने कहा, “इन तीन महीनों में हम सभी जनप्रतिनिधियों के साथ बैठक करेंगे ताकि सभी मुद्दों को समझा जा सके। हम रैयत, यानी जमीन के मालिकों के साथ भी चर्चा करेंगे। हमने अपने विभाग के सभी सीओ को पटना बुलाया और उन्हें सख्त निर्देश दिए कि वे अपनी आदतों में सुधार करें, नहीं तो दिलीप जायसवाल किसी को बख्शने वाले नहीं हैं!”
दिलीप जायसवाल का सहरसा दौरा
बीते शुक्रवार (20 सितंबर) को दिलीप जायसवाल सहरसा पहुंचे, जहां उन्होंने पीएम विश्वकर्मा योजना की एक सालगिरह पर राजकीय पॉलिटेक्निक कॉलेज में कार्यक्रम में भाग लिया। इस मौके पर उन्होंने पत्रकारों से जमीन सर्वे के बारे में कई महत्वपूर्ण जानकारियाँ साझा की। उन्होंने बताया कि अंग्रेजों के जमाने, यानी 1890 में सर्वे की शुरुआत हुई थी। करीब 130 साल बाद रिवीजनल सर्वे हुआ, लेकिन अब सरकार ने विशेष सर्वेक्षण अभियान की शुरुआत की है, जिससे किसानों और रैयतों को लाभ होगा।
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“38 प्रतिशत लोगों को चाहिए कागजात और खतियान!”
दिलीप जायसवाल ने बताया कि जब सर्वे की प्रक्रिया शुरू हो रही है, तो 62 प्रतिशत लोगों के पास कागजात हैं, जबकि 38 प्रतिशत को वंशावली और खतियान की आवश्यकता है। उन्हें कागजात ढूंढने और निकालने में थोड़ी मुश्किल हो रही है। उन्होंने कहा कि सर्वे के बाद बिहार में जमीन का भविष्य स्पष्ट हो जाएगा, जिससे हर किसी को उनके हक का पता चल सकेगा।
“थाने में 60 प्रतिशत मामले जमीन से जुड़े- मंत्री
मंत्री ने कहा कि आजकल थानों में 60 प्रतिशत मामले जमीन से संबंधित होते हैं—जिनमें विवाद, हत्या, और मारपीट जैसी घटनाएँ शामिल हैं। उन्होंने आश्वासन दिया कि भूमि सर्वे के बाद इन मामलों की संख्या में कमी आएगी। जब सर्वे पूरा होगा और सभी रिकॉर्ड डिजिटल हो जाएंगे, तो लोगों को किसी भी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा।
“सर्वे से जमीन माफिया और अतिक्रमणकारी घबराए!”
दिलीप जायसवाल ने बताया कि सर्वे के शुरू होते ही दो वर्गों को सबसे ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ेगा—जमीन माफिया, जो दूसरों की जमीन को गलत तरीके से रजिस्ट्री करवा देते थे, और वे लोग जो सरकारी जमीन पर अतिक्रमण किए हुए हैं। अब उन्हें डर है कि सर्वे के चलते उनके काले कारनामे उजागर हो जाएंगे।
“सर्वे में आम लोगों को भी हो रही मुश्किलें!”
दिलीप जायसवाल ने बताया कि आम लोगों को सर्वे में दिक्कतें आ रही हैं, क्योंकि राजस्व विभाग के कर्मी और सर्वे के अमीन उनकी अपेक्षित सहायता नहीं कर पा रहे हैं। इसलिए, उन्होंने अपने आईएएस अधिकारियों को गांव भेजकर जनता की समस्याओं का पता लगाया। पता चला कि लोगों को कागजात और जानकारी निकालने में राजस्व कार्यालय में परेशानी हो रही है। उन्होंने निर्णय लिया है कि जनता को तीन महीने का समय दिया जाएगा ताकि वे अपनी आवश्यकताएँ पूरी कर सकें।
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