Bihar Bhumi Survey 2024: एक ही जमीन दो लोगों के नाम, कैसे होगा सर्वे का काम? जाने सारी जानकारी

Bihar Bhumi Survey 2024: करीब 50 वर्षों से जमीन का स्वामित्व रखने वाले रैयतों को जिला अभिलेखागार से जमींदारी रिटर्न की प्रति नहीं दी जा रही है। सीओ गीता कुमारी ने बताया कि उन्हें मृत और पूर्व रैयत के नाम पर जमाबंदी की जानकारी मिली है। उन्होंने राजस्व कर्मचारियों को निर्देश दिया है कि वे इन पुरानी जमाबंदियों को बंद करें और उन्हें नए उत्तराधिकारियों के नाम पर अपडेट करें।

बिहार विशेष सर्वेक्षण शुरू होने के साथ ही जमीन के दस्तावेजों में कई खामियां सामने आ रही हैं। रैयतों की जमाबंदी अद्यतन नहीं है, जिसके कारण उन्हें कार्यालयों का चक्कर लगाना पड़ रहा है। दनियावां में राजस्व कर्मियों के प्रशिक्षण की कमी और बिचौलियों की सक्रियता के चलते जमाबंदी पंजी अपडेट नहीं हो पा रही है। इसका खामियाजा पुराने रैयतों को उठाना पड़ रहा है।

ऑनलाइन म्यूटेशन के जरिए जमीन खरीदार के नाम पर रजिस्ट्रेशन तो कर दिया गया, लेकिन पुराने रैयत का नाम हटाना भूल गए। इसका बड़ा कारण है कि राजस्व कर्मचारी कम और बिचौलिए ज्यादा काम कर रहे हैं।

शाहजहांपुर गांव के सैकड़ों किसानों ने 2011 से 2019 के बीच दो सौ बीघा से ज्यादा जमीन सीमेंट कंपनी को बेच दी। कंपनी ने केवाला के आधार पर अंचल कार्यालय से अपने नाम पर दाखिल-खारिज करा लिया, लेकिन राजस्व कर्मियों ने विक्रेता का नाम नहीं हटाया। नतीजतन, एक ही खाता–खेसरा पर पुरानी और नई जमाबंदी दोनों का रकबा अंकित है। यह स्थिति सर्वे कार्य में बड़ा विवाद खड़ा कर सकती है।

यह समस्या सिर्फ सीमेंट कंपनी तक सीमित नहीं है; सैकड़ों किसानों को इसका सामना करना पड़ रहा है। नतीजतन, एक ही जमीन का लगान पुरानी और नई रैयत दोनों से वसूला जा रहा है। शाहजहांपुर में कई रैयत वर्षों पहले निधन हो चुके हैं, लेकिन उनकी जमीन उनके पुत्रों के नाम पर बांटने के बावजूद, पुरानी और नई जमाबंदी में अभी भी मृतक का नाम दर्ज है। अब जब सर्वे का काम शुरू हुआ है, लोग जागरूक हुए हैं और यह गंभीर समस्या उजागर हो रही है।

करीब 50 वर्षों से जमीन का स्वामित्व रखने वाले रैयतों को जिला अभिलेखागार से जमींदारी रिटर्न की कॉपी नहीं मिल रही है, जिससे बिहार के विशेष सर्वे कार्य में दस्तावेज जमा करने में उन्हें कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। सीओ गीता कुमारी ने बताया कि मृत और पूर्व रैयत के नाम पर जमाबंदी की जानकारी प्राप्त हुई है। उन्होंने राजस्व कर्मचारियों को निर्देश दिया है कि ये पुरानी जमाबंदियाँ बंद कर, उनके उत्तराधिकारियों के नाम पर की जाएँ।

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मसौढ़ी की पंचायतों में प्रपत्रों का वितरण अब तक नहीं हुआ है

मसौढ़ी में भूमि सर्वेक्षण की प्रक्रिया काफी धीमी चल रही है। पंचायतों में अब तक किसानों और अन्य लोगों को सर्वे से संबंधित जानकारी देने के लिए शिविर आयोजित नहीं किए गए हैं। कुछ पंचायतों में शिविर लगे भी, लेकिन जानकारी के अभाव में लोगों की भागीदारी बहुत कम रही। हरवंशपुर गांव के वार्ड सदस्य अरुण प्रसाद बताते हैं कि हाल ही में उनकी पंचायत चपौर में शिविर हुआ, लेकिन जानकारी की कमी के चलते बहुत कम लोग पहुंचे। अंत में, अमीन केवल आधा दर्जन ग्रामीणों का फॉर्म लेकर लौट गया।

तिनेरी पंचायत के पूर्व मुखिया राकेश कुमार ने बताया कि कुछ दिन पहले मध्य विद्यालय तिनेरी में ग्रामसभा का आयोजन हुआ, लेकिन प्रचार-प्रसार की कमी के कारण बहुत कम लोग ही आए। बुधवार को रेवां पंचायत भवन में शिविर आयोजित किया गया है, जिसमें तिनेरी पंचायत के लोगों को भी बुलाया गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि तिनेरी पंचायत के गोपालपुर में सामुदायिक भवन मौजूद होने के बावजूद वहां शिविर न लगाना किसानों के लिए मुश्किलें पैदा कर रहा है।

ग्रामीण रसीद न कटने से परेशान

ग्रामीण रसीद न कटने से परेशान हैं। गोपालपुर के राधे शर्मा बताते हैं कि उन्होंने अपनी जमीन की रसीद कटाने के लिए करीब एक माह पहले ऑनलाइन आवेदन किया था, लेकिन अब तक रसीद नहीं मिली। बसौर के जयशंकर प्रसाद तो दो महीने से अपनी रसीद का इंतज़ार कर रहे हैं। जमालपुर के सतीश कुमार को भी यह समस्या कई महीनों से झेलनी पड़ रही है, जिससे उनके और उनके भाई के बीच जमीन का बंटवारा नहीं हो पा रहा। बेर्रा पंचायत के पूर्व मुखिया मो नसीमुद्दीन ने बताया कि डीसीएलआर के अपीलवाद आदेश के बावजूद, उनकी जमीन का सीमांकन एक साल से नहीं हो सका है।

पंचायत में प्रपत्र भरवाने के लिए भारी भीड़

फतुहा प्रखंड के मोमिंदपुर पंचायत में प्रपत्र भरवाने के लिए भारी भीड़ जुट रही है। पंचायत के मुखिया रणधीर यादव का कहना है कि स्वयं वंशावली बनाने में गड़बड़ी होने की संभावना अधिक है। चकबिहरी गांव के जितेंद्र प्रसाद आर्य ने बताया कि सर्वे शुरू होने से पहले भूस्वामियों को प्रपत्र भरने के लिए पूरी जानकारी दी जानी चाहिए थी। गांव के रैयत अब भी प्रपत्र नहीं भर पा रहे हैं, और प्रतिदिन दर्जनों भूस्वामी प्रपत्र लेकर सर्वे कार्यालय पहुंच रहे हैं, ताकि उन्हें भरने की जानकारी मिल सके।

नथूपुर निवासी विनय कुमार का कहना है कि सर्वे में एक और बड़ी समस्या रसीद में खाता-खेसरा नंबर की गड़बड़ी है। कुछ भूस्वामियों को यह दिक्कत भी है कि एक ही खाता और प्लॉट नंबर की जमीन को अलग-अलग लोगों ने बेच दिया है। इस स्थिति के चलते उस जमीन की दाखिल-खारिज रोक दी गई है।

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